इश्क़ क्या है हुस्न की तस्वीर है
हुस्न क्या है इश्क़ की तक़दीर है
ज़िन्दगी क्या है फ़क़त ख़ाबे-गरां
मौत ही इस ख़्वाब की ताबीर है
है अबस दिल की तबाही का गिला
ये तबाही हासिले-तामीर है
ये किधर मुझ को लिए जाता है शौक़
शौक़ है या फ़ीले-बे-ज़ंजीर है
भूल जाओ खुद को उन की याद में
उन से मिलने की यही तदबीर है
जाल फैले हैं इधर तदबीर के
खंदा ज़न लेकिन उधर तक़दीर है
सर को सजदों से भला फ़ुर्सत कहां
ज़र्रा ज़र्रा हुस्न की तस्वीर है
आंख से छुप कर कहां जायेगा तू
दिल में आवेजां तिरी तस्वीर है
दम निकलने पर खुला ये ऐ ‘रतन’
बज़्मे-हस्ती शौरे-दार-ओ-गीर है।