इन्सान को उसने ख़ाक से पाक क्या।
जी-हौसलये-ओ-साहबे-इदरीक किया॥
पहले तो बनाया उसे गंजीनये-इल्म।
फिर गंज को पोशीदा-तहे-ख़ाक किया॥
इन्सान को उसने ख़ाक से पाक क्या।
जी-हौसलये-ओ-साहबे-इदरीक किया॥
पहले तो बनाया उसे गंजीनये-इल्म।
फिर गंज को पोशीदा-तहे-ख़ाक किया॥