आए हम सब हिंद से करन नौकरी हेत।
गिरमिट काटी कठिन से फिर सरकारी खेत।।
फिर सरकारी खेत कोई निज देश चले गए।
कोई खरीदी भूमि कोई गाँवन में बस गए।।
कहैं रहमान भाग्य के कारन पाय लक्ष्मी बहुत हर्षाये।
रहा भाग्य विपरीत जिन्हों का कहैं कि यहँ नाहक हम आए।।