अल्लाह रे हौसला मिरे क़ल्ब-ए-दो-नीम का
जिस ने सबक पढ़ा है अलिफ़ लाम नीम का

उट्ठा न बार जलवा-ए-ज़ात-ए-क़दमी का
इतना था जर्फ़ दावा-ए-चश्म-ए-कलीम का

बख़्शिश ख़ुदा की है तो शफ़ाअत रसूल की
रखता हूँ दरमियान करीम ओ रहीम का

आसी को अपने दामन-ए-रहमत में दी जगह
अल्लाह रे करम मिरे रब्ब-ए-करीम का

आसी सही ज़लील सही पुर-ख़ता सही
बन्दा तो है ‘रशीद’ गफ़ूरूर-रहीम का

By shayar

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