अब मुझ को फ़ायदा हो दवा-ओ-दुआ से क्या?
वो मुँह पे कह गए–“यह मर्ज़ लाइलाज है”॥
इज़्ज़त कुछ और शय है, नुमाइश कुछ और चीज़।
यूँ तो यहाँ खूरोस के सर पर भी ताज है॥
अब मुझ को फ़ायदा हो दवा-ओ-दुआ से क्या?
वो मुँह पे कह गए–“यह मर्ज़ लाइलाज है”॥
इज़्ज़त कुछ और शय है, नुमाइश कुछ और चीज़।
यूँ तो यहाँ खूरोस के सर पर भी ताज है॥