अब तो तमाम शहर में चर्चा है आपका ।
फिर किसलिए हुज़ूर ये परदा है आपका ।
हम आपके हुए तो नई बात क्या हुई,
कहते हैं लोग सारा ज़माना है आपका ।
होता है हर मुकाम पे अहसास अब यही,
जैसे हमारे साथ में साया है आपका ।
अब जाके शहकार हुई है मेरी ग़ज़ल,
बरसों ख़याल में तराशा है आपका ।