श्याम-श्यामा के युगल पद,
कोकनद मन के विनिर्मद।

हृदय के चन्दन सुखाशय,
नयन के वन्दन निरामय,
निश्शरण के निर्गमन के,
गगन-छाया-तल सदाश्रय,
उषा की लाली लगे दुख के,
जगे के योग के गद।

नन्द के आनन्द के घन,
बाधना के साध्य-साधन,
शेष के अवशेष के फल
ज्योति के सम्वलित जीवन,
प्राण के आदान के बल,
मान के मन के वशम्वद।

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