भजु मन राम नाम उदार।
चार दिन के जिन्दगानी झूठ है संसार।
हँसत खेलत दिन गँवावत भजन ना एक बार।
अंत सिर धुन क्या करोगे लगिहें चार कहाँर।
कुल कुटुम्ब अरू मातु भ्रता स्वारथी होसियार।
कवन किसका नेही नाता गवर से तू निहार।
द्विज महेन्द्र ना अवर जानो नाम करू आधार।
भूमि पर फल गिरत तरू से फेर ना लागत डार।