घर के हर ज़र्रे से नासूर की बू आती है
क़ब्र की ऊद की काफ़ूर की बू आती है ।
हम असीरों की भी इक उम्र बसर होती है
न तो मौत आती है हमदम न सहर होती है ।
घर के हर ज़र्रे से नासूर की बू आती है
क़ब्र की ऊद की काफ़ूर की बू आती है ।
हम असीरों की भी इक उम्र बसर होती है
न तो मौत आती है हमदम न सहर होती है ।