झूमर (शिव-महिमा)
गौर अंग जटां गंग सुमुकुट मणिमय भुजंग
लये संग उमाके आदर से
सर्वाधिराज गमन साज देखि धावे अमर राज
सह समाज सेवलै छत्र चौरै से
मिलला ईश्वर से
आध खेत भूत प्रेत, आध में सुरदल समेत
शोभा देत प्रमथ अमर से
प्रभु के लस्कर से
करुणाकर! जनमहर ताकूँ एकहि नजर
माँगै वर भवप्रीता हर से
करुणा सागर से।