कहे तुका जग भुला रे । कहया न मानत कोय । हात परे जब कालके । मारत फोरत डोय ॥१॥ Post navigation तुका प्रीत रामसुं । तैसी मिठी राख तुका सुरा नहि सबदका रे । जब कमाइ न होये