आजु दिगम्बर के संग गौरि सुअवसर पेन्हि मचावती घूमे ।
गावति हे फगुआ अरुनारे, ‘सरोज’ से नैन भरे मतवारे ॥
त्यों करतार बजाय के नाचत, शंकर मौज में मस्त ह्वै झूमे ।
दोऊ दुहून पें डारत रंग उमंग सों दोऊ दुहू मुख चूमे ॥
आजु दिगम्बर के संग गौरि सुअवसर पेन्हि मचावती घूमे ।
गावति हे फगुआ अरुनारे, ‘सरोज’ से नैन भरे मतवारे ॥
त्यों करतार बजाय के नाचत, शंकर मौज में मस्त ह्वै झूमे ।
दोऊ दुहून पें डारत रंग उमंग सों दोऊ दुहू मुख चूमे ॥