प्रथम रश्मि
प्रथम रश्मि का आना रंगिणि! तूने कैसे पहचाना? कहाँ, कहाँ हे बाल-विहंगिनि! पाया तूने वह…
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Read Moreछोड़ द्रुमों की मृदु छाया, तोड़ प्रकृति से भी माया, बाले! तेरे बाल-जाल में कैसे…
Read Moreशरद के एकांत शुभ्र प्रभात में हरसिंगार के सहस्रों झरते फूल उस आनंद सौन्दर्य का…
Read Moreओ शाश्वत दंपति, तुम्हारा असीम, अक्षय परस्पर का प्यार ही मेरा आनंद मंगल और चेतना…
Read Moreतुम आती हो, नव अंगों का शाश्वत मधु-विभव लुटाती हो। बजते नि:स्वर नूपुर छम-छम, सांसों…
Read More(क) तेरा कैसा गान, विहंगम! तेरा कैसा गान? न गुरु से सीखे वेद-पुराण, न षड्दर्शन,…
Read Moreशरद के रजत नील अंचल में पीले गुलाबों का सूर्यास्त कुम्हला न जाय,- वायु स्तब्ध……
Read Moreकब से विलोकती तुमको ऊषा आ वातायन से? सन्ध्या उदास फिर जाती सूने-गृह के आँगन…
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