आह्वान
बरसो हे घन! निष्फल है यह नीरव गर्जन, चंचल विद्युत् प्रतिभा के क्षण बरसो उर्वर…
Read Moreमेघों की गुरु गुहा सा गगन वाष्प बिन्दु का सिंधु समीरण! विद्युत् नयनों को कर…
Read Moreदूर दूर तक केवल सिकता, मृत्यु नास्ति सूनापन!— जहाँ ह्रिंस बर्बर अरबों का रण जर्जर…
Read Moreपुष्प वृष्टि हो, नव जीवन सौन्दर्य सृष्टि हो, जो प्रकाश वर्षिणी दृष्टि हो! लहरों पर…
Read More(१) गत युग के जन पशु जीवन का जीता खँडहर वह छोटा सा राज्य नरक…
Read More