रस स्रवण
रस बन रस बन, प्राणों में! निष्ठुर जग निर्मम जीवन रस बन रस बन प्राणों…
Read Moreबज पायल छम छम छम! उर की कंपन में निर्मम बज पायल छम छम छम!…
Read Moreएक धार बहता जग जीवन एक धार बहता मेरा मन! आर पार कुछ नहीं कहीं…
Read Moreस्वप्न देही हो प्रिये हो तुम, देह तनिमा अश्रु धोई! रूप की लौ सी सुनहली…
Read Moreआम्र मंजरित, मधुप गुंजरित गंध समीरण मंद संचरित! प्राणों की पिक बोल उठी फिर अंतर…
Read Moreबाँध लिया तुमने प्राणों को फूलों के बंधन में एक मधुर जीवित आभा सी लिपट…
Read Moreशरद चाँदनी! विहँस उठी मौन अतल नीलिमा उदासिनी! आकुल सौरभ समीर छल छल चल सरसि…
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