अंतर्गमन
दाँई बाँई ओर, सामने पीछे निश्चित नहीं सूझता कुछ भी बहिरंतर तमसावृत! हे आदित्यो मेरा…
Read Moreदाँई बाँई ओर, सामने पीछे निश्चित नहीं सूझता कुछ भी बहिरंतर तमसावृत! हे आदित्यो मेरा…
Read Moreस्वर्ण शिखर से चतुर्शृंग है उसके शिर पर दो उसके शुभ शीर्ष सप्त रे ज्योति…
Read Moreफहराओ तिरंग फहराओ! हिन्द चेतना के जाग्रत ध्वज ज्योति तरंगों में लहराओ! इंद्र धनुष से…
Read Moreदीपशिखा महादेवी को दीपशिखे, तुमने जल जल कर ऊर्ध्व ज्योति की वर्षण, ये आलोक ऋचाएँ…
Read More