बाँसों का झुरमुट–
बाँसों का झुरमुट– संध्या का झुटपुट हैं चहक रहीं चिड़ियाँ टी-वी-टी–टुट-टुट! वे ढाल ढाल कर…
Read Moreबाँसों का झुरमुट– संध्या का झुटपुट हैं चहक रहीं चिड़ियाँ टी-वी-टी–टुट-टुट! वे ढाल ढाल कर…
Read Moreजग-जीवन में जो चिर महान, सौंदर्य-पूर्ण औ सत्य-प्राण, मैं उसका प्रेमी बनूँ, नाथ! जिसमें मानव-हित…
Read Moreबढ़ो अभय, विश्वास-चरण धर! सोचो वृथा न भव-भय-कातर! ज्वाला के विश्वास के चरण, जीवन मरण…
Read Moreगर्जन कर मानव-केशरि! मर्म-स्पृह गर्जन,– जग जावे जग में फिर से सोया मानवपन! काँप उठे…
Read Moreतारों का नभ! तारों का नभ! सुन्दर, समृद्ध आदर्श सृष्टि! जग के अनादि पथ-दर्शक वे,…
Read Moreजीवन का फल, जीवन का फल! यह चिर यौवन-श्री से मांसल! इसके रस में आनन्द…
Read Moreवे चहक रहीं कुंजों में चंचल सुंदर चिड़ियाँ, उर का सुख बरस रहा स्वर-स्वर पर!…
Read Moreवे डूब गए–सब डूब गए दुर्दम, उदग्रशिर अद्रि-शिखर! स्वप्नस्थ हुए स्वर्णातप में लो, स्वर्ण-स्वर्ण अब…
Read Moreविद्रुम औ’ मरकत की छाया, सोने-चाँदी का सूर्यातप; हिम-परिमल की रेशमी वायु, शत-रत्न-छाय, खग-चित्रित नभ!…
Read Moreगा, कोकिल, बरसा पावक-कण! नष्ट-भ्रष्ट हो जीर्ण-पुरातन, ध्वंस-भ्रंस जग के जड़ बन्धन! पावक-पग धर आवे…
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