घंटा
नभ की है उस नीली चुप्पी पर घंटा है एक टंगा सुन्दर, जो घडी घडी…
Read Moreजीवन का श्रम ताप हरो हे! सुख सुषुमा के मधुर स्वर्ण हे! सूने जग गृह…
Read Moreअपने ही सुख से चिर चंचल हम खिल खिल पडती हैं प्रतिपल, जीवन के फेनिल…
Read Moreछंद बंध ध्रुव तोड़, फोड़ कर पर्वत कारा अचल रूढ़ियों की, कवि! तेरी कविता धारा…
Read Moreजग के उर्वर-आँगन में बरसो ज्योतिर्मय जीवन! बरसो लघु-लघु तृण, तरु पर हे चिर-अव्यय, चिर-नूतन!…
Read Moreप्रेम की बंसी लगी न प्राण! तू इस जीवन के पट भीतर कौन छिपी मोहित…
Read Moreमैंने छुटपन में छिपकर पैसे बोये थे, सोचा था, पैसों के प्यारे पेड़ उगेंगे, रुपयों…
Read Moreयुगपथ नामक रचना से खिल उठा हृदय, पा स्पर्श तुम्हारा अमृत अभय! खुल गए साधना…
Read More(१) अहे निष्ठुर परिवर्तन! तुम्हारा ही तांडव नर्तन विश्व का करुण विवर्तन! तुम्हारा ही नयनोन्मीलन,…
Read Moreताक रहे हो गगन? मृत्य-नीलिमा-गहन गगन? अनिमेष, अचितवन, काल-नयन- नि:स्पंद, शून्य, निर्जन, नि:स्वन! देखो भू…
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