झम झम झम झम पानी बरसा,
कीचड़ खाना बना मदरसा।
पण्डित जी को भूला चन्दन,
आज गये हैं, कीचड़ में सन
फिसले उधर मौलवी साहब,
शकल बनी है उनकी बेढब
गिरते पड़ते बच्चे आये,
क्लास रूम में कीचड़ लाये
उसमे फिसले बड़े मास्टर,
मुश्किल से अब पहुंचेंगे घर
लगी पांव में भारी चोट,
बिखरी स्याही, बिगड़ा कोट
मचा मदरसे में है शोर,
लड़के बन गये मेंढक मोर