मुन्नी अभी बहुत छोटी है
खाती एक कौर रोटी है
छोटा अच्छर कैसे आवे
राह भूल जब घर की जावे
इससे कहीं न जाने पाती
बहुत बहुत रोती चिल्लती
उसका नन्हा पिल्ला रोता
पूं पूं करता धीरज खोता
हो उदास मुन्नी कहती तब
पिल्ला बहुत दुखी है माँ अब
उसको तो बाहर जाने दो
थोडा खेल कूद आने दो