(1)
कफस में खींच ले जाए मुकद्दर या निशेमन में,
हमें परवाजे-मतलब है, हवा कोई भी चलती हो।
(2)
है हुसूले – आरजू का नाम तर्के -आरजू,
मैंने दुनिया छोड़ दी तो मिल गई दुनिया मुझे।
(3)
मेरे गुनाहों पर करें तब्सिरा लेकिन,
सिर्फ मैं ही तो गुनहगार नहीं।
(4)
बहुत मुश्किल है कैदे-जिन्दगी में मुतमइन होना,
चमन भी इक मुसीबत था कफस भी इक मुसीबत है।
(5)
फकत एहसासे-आजादी ही से आजादी इबारत है,
वही घर की दीवार है, वही दीवार, जिन्दा की।