वो खुद सर से क़दम तक डूब जाते हैं पसीने में।
मेरी महफ़िल में जो उनको, पशेमां देख लेते हैं॥
‘सफ़ी’ रहते हैं जानो-दिल फ़िदा करने पै आमादा।
मगर उस वक्त जब इन्साँ को इन्साँ देख लेते हैं॥
वो खुद सर से क़दम तक डूब जाते हैं पसीने में।
मेरी महफ़िल में जो उनको, पशेमां देख लेते हैं॥
‘सफ़ी’ रहते हैं जानो-दिल फ़िदा करने पै आमादा।
मगर उस वक्त जब इन्साँ को इन्साँ देख लेते हैं॥