स्वर्ग की जो कल्पना है, व्यर्थ क्यों कहते उसे तुम? धर्म बतलाता नहीं संधान यदि इसका? स्वर्ग का तुम आप आविष्कार कर लेते। Post navigation व्याल-विजय हमारे कृषक