(१)
धूप चाहते हो घर में तो हँसो-हँसाओ, मग्न रहो,
हरदम ज्ञानी बने रहे यदि तो बदली घिर जायेगी।
(२)
प्रसाधन कौन-सा है निष्कपट आनन्द से बढ़कर?
प्रफुल्लित पुष्प-सी हँसती रहो, इतना अलम है।
मसाले लेप कर क्यों गाल को पंकिल बनाती हो?
(१)
धूप चाहते हो घर में तो हँसो-हँसाओ, मग्न रहो,
हरदम ज्ञानी बने रहे यदि तो बदली घिर जायेगी।
(२)
प्रसाधन कौन-सा है निष्कपट आनन्द से बढ़कर?
प्रफुल्लित पुष्प-सी हँसती रहो, इतना अलम है।
मसाले लेप कर क्यों गाल को पंकिल बनाती हो?