पंथ लौट कर पहुँचेगा फिर वहाँ जहाँ से शुरू हुआ था। घर जाने के लिए बहुत आतुर मत होओ। बहुत तेज मत चलो, न ठहरो, यही बहुत है। Post navigation ज्ञान बीता हुआ कल