शब्द जो निःशब्द, नीरव हैं,
समय पाकर वही परिपक्व होते हैं।
घूर्णि जब आती नहीं दिन भर ठहरती है।
और वह वर्षा नहीं भरती सरोवर को,
पटपटा कर जो बहुत आवाज करती है।

By shayar

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *