वो कहते हैं यकीं लाना पड़ेगा
ये धोखा जान कर खाना पड़ेगा

ज़माने को बदलना हम ने ठाना
ज़माने को बदल जाना पड़ेगा

सलामत है हमारा जज़्बे-उल्फ़त
तुम आओगे तुम्हें आना पड़ेगा

यही मर्ज़ी है उस आरामे-जां की
हमें अब जान से जाना पड़ेगा

दिले-नादां समझ जायेगा लेकिन
दिले-नादां को समझाना पड़ेगा

अदू के नाज़ उठते कौन देखे
तिरी महफ़िल में उठ जाना पड़ेगा

नहीं ऐ संग-दिल हां वो नहीं तू
किए पर जिस को पछताना पड़ेगा

बड़ा बद-राह है चरख़े-सितमगर
इसे अब राह पर लाना पड़ेगा

पड़ा है ऐ ‘वफ़ा’ पाला बुतों से
ख़ुदा को दरमियाँ लाना पड़ेगा।

By shayar

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