मिरी फ़रयाद मम्नूने-असर मुश्किल से होती है
मिरी जानिब इनायत की नज़र मुश्किल से होती है
हमारे हाल पर उन की नज़र मुशकिल से होती है
हमारे हाल की उन को ख़बर मुश्किल से होती है
नहीं, हां हां , नहीं आसां बसर करना शबे-ग़म का
शबे-ग़म ऐ दिले-नादां बसर मुश्किल से होती है
बहुत मसमूम है आबो-हवा बागे-महब्बत की
यहां शाखे-तमन्ना बारवर मुश्किल से होती है
ये दर्दे इश्क़ है, ये जान ही के साथ जायेगा
दवा इस दर्द की ऐ चारागर मुश्किल से होती है
कहें क्या हम बसर होती है कैसे ज़िन्दगी अपनी
खुलासा ऐ ‘वफ़ा’ ये है बसर मुश्किल से होती है।