बरसों से हूँ मैं ज़मज़मां परज़ादे-महब्बत
आई न जवाबन कभी आवाज़े-महब्बत

इक दर्द महब्बत है मिरी हर रगो-पै में
हर सांस है अब मेरा इक आवाज़े-महब्बत

हर चंद की हर बज़्म में ठुकराई गयी है
आवाज़े-महब्बत है आवाज़े-महब्बत

मामूर हैं आवाज़े-महब्बत से फज़ाएं
मस्तूर है गो साहिब आवाज़े-महब्बत

आ जाये ज़रा सीनाए-आफाक में गर्मी
हो जाये ज़रा शोला ज़न आवाज़े-महब्बत

जिस शख्स के सीने में है दिल की जगह पत्थर
समझेगा वो क्या मानी-ए-आवाज़े-महब्बत

इस दौरे-तगो-दौ में ‘वफ़ा’ कौन सुनेगा
कितनी ही दिल-आवेज़ हो आवाज़े-महब्बत

By shayar

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