नहीं सबाते- जहां में अब एहतिमाल मुझे
रक़ीब देने लगे मुजदाए-विसाल मुझे
तिरे विसाल में मरना भी कुछ मुहाल न था
तिरे फ़िराक़ में जीना भी है वबाल मुझे
ग़मे-फ़िराक़ शदीद इस क़दर न था पहले
दुआ है अब न मिले राहते-विसाल मुझे
अगर अदू से तुझे वाक़ई महब्बत है
तो इत्मिनान में ऐ बद-गुमां न डाल मुझे
तिरी खुशी हो अदू की खुशी के ताबे क्यों
तिरी खुशी का भी होने लगा मलाल मुझे
कभी जो उस ने इजाज़त सवाल की दी है
जवाब दे गई है ताक़त-ए-सवाल मुझे
लिखा हुआ है मिरा हाल मेरे चेहरे पर
अबस करो न गुनहगारे-अर्ज़-ए-हाल मुझे
मैं नाज़ क्यों न करूँ अपनी बे-कमाली लर
कि ऐ वफ़ा नहीं अंदेशा-ए-ज़वाल मुझे।