आँख में आँसू गुम औसान
इश्क़़ के मारो की पहचान
इक अपने चुप रहने से
सारी नगरी क्यूँ सुनसान
ऐ हम पर हँसने वालो
तुम नादाँ के हम नादाँ
दिन है समंदर रात पहाड़
हल्की फुल्की अपनी जान
मौत के माने ज़ीस्त से हार
ज़ीस्त के माने इक तावान
हाल देखो ‘महशर’ की
किस से बातें किस का ध्यान