देख के कर्रोफ़र दौलत की तेरा जी ललचाय
सूँघ के मुश्की ज़ुल्फ़ों की बू नींद-सी तुझ को आए
जैसे बे-लंगर की किश्ती लहरों में बोलाय
      मन की मौज में तेरी नीयत यूँ है डावाँडोल
                        तोल अपने को तोल,

यह गेसू, यह बिखरे गेसू, नाग हैं, काले नाग
इन तिरछी-तिरछी नज़रों को लाग है, तुझसे लाग
रूप की इस सुंदर नगरी से, भाग रे शाइर भाग
      तुझसे तुझको छीन रहे हैं, यह परियों के गोल
                        तोल अपने को तोल ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *