हो रही है दर-ब-दर ऐसी जबीं-साई कि बस
हो रही है दर-ब-दर ऐसी जबीं-साई कि बस क्या अभी बाक़ी है कोई और रूसवाई…
Read Moreहो रही है दर-ब-दर ऐसी जबीं-साई कि बस क्या अभी बाक़ी है कोई और रूसवाई…
Read Moreअभी तो हौसला-ए-कारोबार बाक़ी है ये कम कि आमद-ए-फ़स्ल-ए-बहार बाक़ी है अभी तो शहर के…
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