मक़ामात-ए-रतन
क्या तुम को ये मालूम है गुमनाम ‘रतन’ भी हर वक़्त तुम्हें बज़्मे-अदीबां में मिलेगा…
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Read Moreआदाब का नज़राना लिए आया हूँ तहज़ीब का परवाना लिए आया हूँ अब जाम-ओ-सुबूं थाम…
Read Moreआदाब का नज़राना लिए आया हूँ तहज़ीब का परवाना लिए आया हूँ अब जाम-ओ-सुबूं थाम…
Read Moreऐ हुस्ने-नज़र कितना हसीं है शिमला क्या हूर का चिहरा तो नहीं है शिमला कौसर…
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Read Moreदर राहे-तलब बस कि परीशां हस्तम बे यार-ओ-मददगार-ओ-निगहबां हस्तम ऐ नासिरे-कोनीन नसीरे-मन शौ मुतमन्नीए-अफ़ज़ाले-फरावां हस्तम।…
Read Moreदर राहे-तलब बस कि परीशां हस्तम बे यार-ओ-मददगार-ओ-निगहबां हस्तम ऐ नासिरे-कोनीन नसीरे-मन शौ मुतमन्नीए-अफ़ज़ाले-फरावां हस्तम।…
Read Moreकुछ लज़्ज़ते-अशआर की ख़्वाहिश लाई कुछ ख़ूबीए-गुफ्तार की ख़्वाहिश लाई मैं और ये रंगीन मजालिस…
Read Moreकुछ लज़्ज़ते-अशआर की ख़्वाहिश लाई कुछ ख़ूबीए-गुफ्तार की ख़्वाहिश लाई मैं और ये रंगीन मजालिस…
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