आह्वान
फूलों का गीला सौरभ पी बेसुध सा हो मन्द समीर, भेद रहे हों नैश तिमिर…
Read Moreशून्यता में निद्रा की बन, उमड़ आते ज्यों स्वप्निल घन; पूर्णता कलिका की सुकुमार, छलक…
Read Moreचुभते ही तेरा अरुण बान! बहते कन कन से फूट फूट, मधु के निर्झर से…
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