मैं बनी मधुमास आली!
मैं बनी मधुमास आली! आज मधुर विषाद की घिर करुण आई यामिनी, बरस सुधि के…
Read Moreमैं बनी मधुमास आली! आज मधुर विषाद की घिर करुण आई यामिनी, बरस सुधि के…
Read Moreमधुर-मधुर मेरे दीपक जल! युग-युग प्रतिदिन प्रतिक्षण प्रतिपल प्रियतम का पथ आलोकित कर! सौरभ फैला…
Read Moreबताता जा रे अभिमानी! कण-कण उर्वर करते लोचन स्पन्दन भर देता सूनापन जग का धन…
Read Moreरुपसि तेरा घन-केश पाश! श्यामल श्यामल कोमल कोमल, लहराता सुरभित केश-पाश! नभगंगा की रजत धार…
Read Moreतुम मुझमें प्रिय, फिर परिचय क्या! तारक में छवि, प्राणों में स्मृति पलकों में नीरव…
Read Moreनींद थी मेरी अचल निस्पन्द कण कण में, प्रथम जागृति थी जगत के प्रथम स्पन्दन…
Read Moreओ पागल संसार! माँग न तू हे शीतल तममय! जलने का उपहार! करता दीपशिखा का…
Read Moreविरह का जलजात जीवन, विरह का जलजात! वेदना में जन्म करुणा में मिला आवास; अश्रु…
Read Moreकौन तुम मेरे हृदय में? कौन मेरी कसक में नित मधुरता भरता अलक्षित कौन प्यासे…
Read Moreआज क्यों तेरी वीणा मौन? शिथिल शिथिल तन थकित हुए कर, स्पन्दन भी भूला जाता…
Read More