कताआत
कैसी-कैसी सूरतें ख़्वाबे-परीशाँ हो गईं? सामने आँखों के आईं और पिन्हाँ हो गईं॥ ज़ोर ही…
Read Moreकैसी-कैसी सूरतें ख़्वाबे-परीशाँ हो गईं? सामने आँखों के आईं और पिन्हाँ हो गईं॥ ज़ोर ही…
Read Moreबेक़रारी दिले-बीमार की अल्ला-अल्ला। फ़र्शेगुल पर भी न आना था, न आराम आया॥ जौरे-दरबाँ की…
Read Moreनज़र हुस्न-आश्ना ठहरी वो ख़िलवत हो कि जलवत हो। जब आँखें बन्द कीं तसवीरे-जानाँ देख…
Read Moreकुछ भी न हैफ़ कर सके हस्ती-ए-मुस्तआ़र में। हो गई खत्म ज़िन्दगी मौत के इन्तज़ार…
Read Moreख़ामोश रहने दो ग़मज़दों को, कुरेद कर हाले-दिल न पूछो। तुम्हारी ही सब इनायतें हैं,…
Read Moreइन्सान को उसने ख़ाक से पाक क्या। जी-हौसलये-ओ-साहबे-इदरीक किया॥ पहले तो बनाया उसे गंजीनये-इल्म। फिर…
Read Moreक्योंकर यहाँ तुम्हारी तबीयत बहल गई। इतनी ही ज़िंदगी हमें ऐ खिज़्र! खल गई॥ जब…
Read Moreन ख़ामोश रहना मेरे हम-सफ़ीरो! जब आवाज़ दूँ तुम भी आवाज़ देना॥ ग़ज़ल उसने छेडी़…
Read Moreसौदा-ए-सज्दा शाम ओ सहर मेरे सर में है ऐ बुत कशिश कुछ ऐसी तिरे संग-ए-दर…
Read Moreरोता हमें जो देखा दिल उस का पिघल गया जादू-ए-चश्म उस बुत-ए-पुर-फ़न पे चल गया…
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