मुझ ग़मज़दा के पास से सब रो के उठे हैं।
मुझ ग़मज़दा के पास से सब रो के उठे हैं। हाँ आप इक ऐसे हैं…
Read Moreमुझ ग़मज़दा के पास से सब रो के उठे हैं। हाँ आप इक ऐसे हैं…
Read Moreजादह-ओ-मंज़िल जहाँ दोनों हैं एक। उस जगह से मेरा सेहरा शुरू॥ वक़्त थोडा़ और यह…
Read Moreहिम्मते-कोताह से दिल तंगेज़िन्दाँ बन गया। वर्ना था घर से सिवा इस घर का हर…
Read Moreयह मेरी तौबा नतीजा है बुखले-साक़ी का। ज़रा-सी पी के कोई मुँह ख़राब क्या करता?…
Read Moreनादाँ की दोस्ती में जी का ज़रर न जाना। इक काम कर तो बैठे, और…
Read Moreदिल का जिस शख़्स के पता पाया। उसको आफ़त में मुब्तला पाया॥ नफ़ा अपना हो…
Read Moreउन्स अपने में कहीं पाया न बे-गाने में था क्या नशा है सारा आलम एक…
Read Moreज़र्रा भी अगर रंग-ए-ख़ुदाई नहीं देता अंधा है तुझे कुछ भी दिखाई नहीं देता दिल…
Read Moreरोने से जो भड़ास थी दिल की निकल गई आँसू बहाए चार तबीअत सँभल गई…
Read Moreमुझ को आता है तयम्मुम न वज़ू आता है सजदा कर लेता हूँ जब सामने…
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