जिसमें कैफ़ेग़म नहीं, बाज़ आये ऐसे दिल से हम।
जिसमें कैफ़ेग़म नहीं, बाज़ आये ऐसे दिल से हम। यह भी देना है कोई? मय…
Read Moreजिसमें कैफ़ेग़म नहीं, बाज़ आये ऐसे दिल से हम। यह भी देना है कोई? मय…
Read Moreक़रीबेसुबह यह कहकर अज़ल ने आँख झपका दी। “अरे ओ हिज्र के मारे, तुझे अब…
Read Moreपलक झपकी कि मंज़र खत्म था बर्क़े-तजल्ली का। ज़ता सी न्यामतेदीद, उसका भी यूँ रायगाँ…
Read Moreमहमाँनवाज़, वादिये-गु़रबत की ख़ाक थी। लाशा किसी ग़रीब का उरियाँ नहीं रहा॥ आँसू बना जबीं…
Read Moreज़माने से नाज़ अपने उठवानेवाले। मुहब्बत का बोझ आप उठाना पड़ेगा॥ सज़ा तो बजा है,…
Read Moreखुदारा ! न दो बदगुमानी का मौक़ा। कहलवा के औरों से पैग़ाम अपना॥ हविसकार आशिक…
Read Moreजो दर्द मिटने-मिटते भी मुझको मिटा गया। क्या उसका पूछना कि कहाँ था कहाँ न…
Read Moreजो कोई हद हो मुअ़य्यन तो शौक़, शौक़ नहीं। वो कमयाब है जो कमयाब हो…
Read Moreदो घडी़ को दे-दे कोई अपनी आँखों की जो नींद। पाँव फैला दूँ गली में…
Read Moreक्यों किसी रहबर से पूछूँ अपनी मंज़िल का पता। मौजे-दरिया खु़द लगा लेती है साहिल…
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