धूप सा तन दीप सी मैं!
धूप सा तन दीप सी मैं! उड़ रहा नित एक सौरभ-धूम-लेखा में बिखर तन, खो…
Read Moreधूप सा तन दीप सी मैं! उड़ रहा नित एक सौरभ-धूम-लेखा में बिखर तन, खो…
Read Moreतरल मोती से नयन भरे! मानस से ले, उटे स्नेह-घन, कसक-विद्यु पुलकों के हिमकण, सुधि-स्वामी…
Read Moreविहंगम-मधुर स्वर तेरे, मदिर हर तार है मेरा! रही लय रूप छलकाती चली सुधि रंग…
Read Moreकहाँ से आये बादल काले? कजरारे मतवाले! शूल भरा जग, धूल भरा नभ, झुलसीं देख…
Read Moreयह सपने सुकुमार तुम्हारी स्मित से उजले! कर मेरे सजल दृगों की मधुर कहानी, इनका…
Read Moreसब बुझे दीपक जला लूं घिर रहा तम आज दीपक रागिनी जगा लूं क्षितिज कारा…
Read Moreहुए शूल अक्षत मुझे धूलि चन्दन! अगरु धूम-सी साँस सुधि-गन्ध-सुरभित, बनी स्नेह-लौ आरती चिर-अकम्पित, हुआ…
Read Moreआज तार मिला चुकी हूँ। सुमन में संकेत-लिपि, चंचल विहग स्वर-ग्राम जिसके, वात उठता, किरण…
Read Moreप्राण हँस कर ले चला जब चिर व्यथा का भार उभर आये सिन्धु उर में…
Read Moreपंथ होने दो अपरिचित प्राण रहने दो अकेला! घेर ले छाया अमा बन, आज कज्जल-अश्रुओं…
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