भले दिन आये तो आज़ार बन गया आराम।
भले दिन आये तो आज़ार बन गया आराम। क़फ़स के तिनके भी काम आ गए…
Read Moreभले दिन आये तो आज़ार बन गया आराम। क़फ़स के तिनके भी काम आ गए…
Read Moreउठ खडा़ हो तो बगोला है, जो बैठे तो गु़बार। ख़ाक होकर भी वही शान…
Read Moreसबब बग़ैर था हर जब्र क़ाबिले इल्ज़ाम। बहाना ढूंढ लिया, देके अख्तियार मुझे॥ किया है…
Read Moreहुस्ने-सीरत पर नज़र कर, हुस्ने-सूरत को न देख। आदमी है नाम का गर ख़ू नहीं…
Read Moreहर दाने पै इक क़तरा, हर क़तरे पै इक दाना। इस हाथ में सुमरन है,…
Read Moreन यह कहो “तेरी तक़दीर का हूँ मैं मालिक। बनो जो चाहो ख़ुदा के लिए,…
Read Moreसरूरे-शब का नहीं, सुबह का ख़ुमार हूँ मैं। निकल चुकी है जो गुलशन से वो…
Read Moreसाथ हर हिचकी के लब पर उनका नाम आया तो क्या? जो समझ ही में…
Read Moreजवाब देने के बदले वे शक्ल देखते हैं। यह क्या हुआ ,मेरे चेहरे को, अर्ज़ेहाल…
Read Moreआफ़त में पडे़ दर्द के इज़हार से हम और। याद आ गये भूले हुए कुछ…
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