कौन तुम मेरे हृदय में?
कौन तुम मेरे हृदय में? कौन मेरी कसक में नित मधुरता भरता अलक्षित? कौन प्यासे…
Read Moreकौन तुम मेरे हृदय में? कौन मेरी कसक में नित मधुरता भरता अलक्षित? कौन प्यासे…
Read Moreपूछता क्यों शेष कितनी रात? छू नखों की क्रांति चिर संकेत पर जिनके जला तू…
Read Moreयह मन्दिर का दीप इसे नीरव जलने दो रजत शंख घड़ियाल स्वर्ण वंशी-वीणा-स्वर, गये आरती…
Read Moreअलि, मैं कण-कण को जान चली सबका क्रन्दन पहचान चली जो दृग में हीरक-जल भरते…
Read Moreजब यह दीप थके महादेवी वर्मा जब यह दीप थके तब आना। यह चंचल सपने…
Read Moreथा कली के रूप शैशव- में अहो सूखे सुमन, मुस्कराता था, खिलाती अंक में तुझको…
Read Moreमेरी चितवन खींच गगन के कितने रँग लाई ! शतरंगों के इन्द्रधनुष-सी स्मृति उर में…
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