मैं प्रिय पहचानी नहीं!
पथ देख बिता दी रैन मैं प्रिय पहचानी नहीं! तम ने धोया नभ-पंथ सुवासित हिमजल…
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Read Moreबीन भी हूँ मैं तुम्हारी रागिनी भी हूँ! नींद थी मेरी अचल निस्पन्द कण कण…
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Read Moreचिर सजग आँखें उनींदी आज कैसा व्यस्त बाना! जाग तुझको दूर जाना! अचल हिमगिरि के…
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Read Moreकम्पित कम्पित, पुलकित पुलकित, परछाईं मेरी से चित्रित, रहने दो रज का मंजु मुकुर, इस…
Read Moreवे मुस्काते फूल, नहीं जिनको आता है मुरझाना, वे तारों के दीप, नहीं जिनको भाता…
Read Moreमैं नीर भरी दु:ख की बदली! स्पंदन में चिर निस्पंद बसा, क्रन्दन में आहत विश्व…
Read Moreजो तुम आ जाते एक बार कितनी करूणा कितने संदेश पथ में बिछ जाते बन…
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