क्यों इन तारों को उलझाते?
क्यों इन तारों को उलझाते? अनजाने ही प्राणों में क्यों आ आ कर फिर जाते?…
Read Moreक्यों इन तारों को उलझाते? अनजाने ही प्राणों में क्यों आ आ कर फिर जाते?…
Read Moreवे मधु दिन जिनकी स्मृतियों की धुँधली रेखायें खोईं, चमक उठेंगे इन्द्रधनुष से मेरे विस्मृति…
Read Moreजो मुखरित कर जाती थीं मेरा नीरव आवाहन, मैं नें दुर्बल प्राणों की वह आज…
Read Moreजो मुखरित कर जाती थीं मेरा नीरव आवाहन, मैं नें दुर्बल प्राणों की वह आज…
Read Moreमै अनंत पथ में लिखती जो सस्मित सपनों की बाते उनको कभी न धो पायेंगी…
Read Moreमै अनंत पथ में लिखती जो सस्मित सपनों की बाते उनको कभी न धो पायेंगी…
Read Moreआँधी आई जोर शोर से, डालें टूटी हैं झकोर से। उड़ा घोंसला अंडे फूटे, किससे…
Read Moreआँधी आई जोर शोर से, डालें टूटी हैं झकोर से। उड़ा घोंसला अंडे फूटे, किससे…
Read Moreस्वप्न से किसने जगाया? मैं सुरभि हूं। छोड कोमल फूल का घर, ढूंढती हूं निर्झर।…
Read Moreस्वप्न से किसने जगाया? मैं सुरभि हूं। छोड कोमल फूल का घर, ढूंढती हूं निर्झर।…
Read More