तुम मानिनि राधे
थी मेरा आदर्श बालपन से तुम मानिनि राधे! तुम-सी बन जाने को मैंने व्रत नियमादिक…
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Read Moreदेव! तुम्हारे कई उपासक कई ढंग से आते हैं सेवा में बहुमूल्य भेंट वे कई…
Read Moreकर रहे प्रतीक्षा किसकी हैं झिलमिल-झिलमिल तारे? धीमे प्रकाश में कैसे तुम चमक रहे मन…
Read Moreइस समाधि में छिपी हुई है, एक राख की ढेरी | जल कर जिसने स्वतंत्रता…
Read Moreसिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ़े भारत में भी आई फिर से…
Read Moreयहाँ कोकिला नहीं, काग हैं, शोर मचाते, काले काले कीट, भ्रमर का भ्रम उपजाते। कलियाँ…
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