प्रियतम से
बहुत दिनों तक हुई परीक्षा अब रूखा व्यवहार न हो। अजी, बोल तो लिया करो…
Read Moreबहुत दिनों तक हुई परीक्षा अब रूखा व्यवहार न हो। अजी, बोल तो लिया करो…
Read Moreडाल पर के मुरझाए फूल! हृदय में मत कर वृथा गुमान। नहीं है सुमन कुंज…
Read Moreमैं अछूत हूँ, मंदिर में आने का मुझको अधिकार नहीं है। किंतु देवता यह न…
Read Moreबिछा प्रतीक्षा-पथ पर चिंतित नयनों के मदु मुक्ता-जाल। उनमें जाने कितनी ही अभिलाषाओं के पल्लव…
Read Moreप्रथम जब उनके दर्शन हुए, हठीली आँखें अड़ ही गईं। बिना परिचय के एकाएक हृदय…
Read Moreअभी अभी थी धूप, बरसने लगा कहाँ से यह पानी किसने फोड़ घड़े बादल के…
Read Moreयह मुरझाया हुआ फूल है, इसका हृदय दुखाना मत। स्वयं बिखरनेवाली इसकी, पँखड़ियाँ बिखराना मत॥…
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