विदा के समय
जाता हूँ जाने दो मुझको, हूँ मैं सरित – प्रवाह; जाकर फिर फिर आ जाने…
Read Moreजाता हूँ जाने दो मुझको, हूँ मैं सरित – प्रवाह; जाकर फिर फिर आ जाने…
Read Moreउद्वेलित कर अश्रु-राशियाँ, हृदय-चिताएँ धधकाकर, महा महामारी प्रचण्ड हो फैल रही थी इधर उधर। क्षीण-कण्ठ…
Read Moreहम सब के थे प्यारे बापू सारे जग से न्यारे बापू जगमग-जगमग तारे बापू भारत…
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