मंगवा छाता
डाली डाली-की हरियाली का न रहा वह साज विकल बड़ी है, गिरी पड़ी है, सूखी…
Read Moreडाली डाली-की हरियाली का न रहा वह साज विकल बड़ी है, गिरी पड़ी है, सूखी…
Read Moreझम झम झम झम पानी बरसा, कीचड़ खाना बना मदरसा। पण्डित जी को भूला चन्दन,…
Read Moreचिड़ियाँ बोलीं, हिलीं लताएँ लगी झूमने तरु शाखाएं पूर्व दिशा में रहे न तारे। ऑंखें…
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