बाबू बनकर मुन्नी बैठी,
बाबू बनकर मुन्नी बैठी, ऐनक लगा शान में ऐंठी। गुड़िया को झट लगी पढ़ाने, रोब…
Read Moreबाबू बनकर मुन्नी बैठी, ऐनक लगा शान में ऐंठी। गुड़िया को झट लगी पढ़ाने, रोब…
Read Moreगर्मी के हैं मजे निराले, लगे पाठशालों में ताले। नहीं गुरूजी का अब डर है,…
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Read Moreएक चीन का सौदागर था, बहुत बड़ी थी उसकी चोटी उसे लपेट लपेट कमर पर,…
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Read Moreबिल में बैठे चूहे चार, चुपके चुपके करें विचार। बाहर आएँ जाएँ कैसे? अपनी जान…
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Read Moreनानी का संदूक निराला, हुआ धुएँ से बेहद काला। पीछे से वह खुल जाता है,…
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