क्या तिरी दरिया दिली है ऐ-खुदा मेरे लिये
क्या तिरी दरिया दिली है ऐ-खुदा मेरे लिये हर क़यामत हर मुसीबत हर बला मेरे…
Read Moreक्या तिरी दरिया दिली है ऐ-खुदा मेरे लिये हर क़यामत हर मुसीबत हर बला मेरे…
Read Moreक्या तिरी दरिया दिली है ऐ-खुदा मेरे लिये हर क़यामत हर मुसीबत हर बला मेरे…
Read Moreअक़्ल वाले क्या समझ सकते हैं दीवाने की बात अहले-गुलशन को कहां मालूम वीराने की…
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Read Moreबड़ा बे-बहा है दफीना ‘रतन’ का की हर शेर है इक नगीना ‘रतन’ का बहुत…
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Read Moreसुना था और किताबों में देखा था कि अकबरे-आज़म के नौ वज़ीर थे जो नौ…
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Read Moreमेरे हल्का-ए-एहबाब में जो लोग मुझ से मशवरे-सुख़न करते हैं क़रीब पांच सौ के होंगे।…
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